वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025, जिसे हाल ही में भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में पारित किया गया है, वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित करता है। इस विधेयक का उद्देश्य वक़्फ़ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और संपत्ति स्वामित्व पर सरकारी निगरानी बढ़ाना है। सरकार का दावा है कि ये परिवर्तन भ्रष्टाचार को कम करेंगे और विविधता को बढ़ावा देंगे। हालांकि, विपक्षी दलों और मुस्लिम समूहों ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताया है, और मुस्लिम अधिकारों को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में वक़्फ़ परिषद और राज्य वक़्फ़ बोर्डों की संरचना में संशोधन, वक़्फ़ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए कलेक्टर या उप कलेक्टर स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति, और वक़्फ़ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए एक केंद्रीय पोर्टल की स्थापना शामिल है। इसके अलावा, यह विधेयक वक़्फ़ ट्रिब्यूनलों की संरचना में सुधार और उनके आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति देता है।
विधेयक के समर्थकों का मानना है कि इससे वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, जबकि आलोचकों को चिंता है कि इससे मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा और उनके अधिकारों का हनन होगा। राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा जारी है, और इसके पारित होने के लिए उच्च सदन और राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक है।
वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विस्तृत जानकारी
इस विधेयक को लेकर देशभर में बहस और विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल रहे हैं। मुस्लिम संगठनों और कई विपक्षी दलों ने इसे समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप बताते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
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वक़्फ़ संपत्तियों का पुनर्सर्वेक्षण – अब सरकार के अधिकारी वक़्फ़ संपत्तियों का सर्वेक्षण कर सकते हैं और पुनर्पंजीकरण की प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया गया है।
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गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल करने का प्रावधान – वक़्फ़ बोर्ड में अब अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जा सकता है, जिससे मुस्लिम समुदाय में असंतोष है।
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वक़्फ़ ट्रिब्यूनल की पुनर्रचना – अब ट्रिब्यूनल में न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी, जिससे मामलों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है।
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केंद्रीय डेटाबेस का निर्माण – वक़्फ़ संपत्तियों का पूरा रिकॉर्ड अब ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा और सरकार इसकी निगरानी करेगी।
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भूमि स्वामित्व विवादों को हल करने के नए नियम – यदि कोई वक़्फ़ संपत्ति सरकारी योजनाओं के अंतर्गत आती है, तो सरकार उसे अधिग्रहित कर सकती है।
समर्थन और विरोध
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समर्थकों का मत: सरकार का कहना है कि यह विधेयक पारदर्शिता लाएगा और वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकेगा।
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विरोधियों का मत: मुस्लिम संगठन और कुछ राजनीतिक दल इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मान रहे हैं और इसे संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन बता रहे हैं।
आगे की संभावनाएँ
राज्यसभा में इस विधेयक पर तीखी बहस होने की संभावना है। यदि यह पारित होता है, तो इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून के रूप में लागू किया जाएगा। कुछ संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की भी चेतावनी दी है।
इस विधेयक का प्रभाव वक़्फ़ बोर्ड, धार्मिक संस्थानों और आम जनता पर क्या पड़ेगा, यह आने वाले समय में साफ़ होगा।