Kahani Kahaniyan – स्वार्थी मित्रों से बचो
स्वार्थी मित्रों से बचो
Kahani Kahaniyan – एक घने जंगल में मदोत्कट नामक एक शेर रहता था। उसके तीन कृतघ्न मित्र थे – गीदड़, कौआ और भेड़िया। वे शेर के मित्र मात्र इसलिए थे क्योंकि वह जंगल का राजा था। वे सदैव शेर के आस – पास रहते और उसकी हर आज्ञा का पालन करते, ताकि उनकी कुटिल मनोकामना की पूर्ति हो सके।
Kahani Kahaniyan New Moral Stories in Hindi
दिन पर दिन बीतते रहे, लेकिन शेर को खाना नहीं मिला। उसके मित्र भी भूख से तड़पने लगे क्योंकि भोजन के लिए वे शेर पर ही निर्भर थे। लेकिन शाकाहारी होने के कारण ऊंट आराम से घास -पत्तियां चर कर अपना पेट भर रहा था।जब काफी समय तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो तीनों कुटिल मित्रों को चिंता सताने लगी कि इस तरह तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। एक दिन गीदड़, कौआ और भेड़िया तीनों शेर के पास जाकर बोले, “महाराज! आप दिन पर दिन कमजोर होते जा रहे हैं।
हमसे आपकी यह दुर्दशा देखी नहीं जाती। क्यों नहीं आप ऊंट को मारकर पेट भरने का जुगाड़ करते हो ?” “नहीं।” शेर गुस्से में दहाड़ा, “वह हमारा मेहमान है, हम उसे नहीं मार सकते। आगे से मुझे ऐसी बेतुकी सलाह मत देना।” लेकिन तीनों कुटिल मित्रों की कुदृष्टि तो ऊंट पर टिक चुकी थी। वे तीनों सिर जोड़कर बैठ गए और ऊंट को मारने की योजना पर विचार करने लगे। वे ऊंट के पास जाकर बोले, “मित्र! तुन्हें तो पता ही है, शेर ने पिछले कुछ दिनों से कुछ भी नहीं खाया है। वह अपने घावों तथा शारीरिक अक्षमता के कारण शिकार भी नहीं कर पा रहा है।
ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि उसके लिए अपना बलिदान कर दें ताकि राजा के प्राण बच सकें। आओ, राजा (शेर )के पास चलें और अपना शरीर उसको भोजन के लिए सौंप दें।”बेचारा भोला -भाला ऊंट उन तीनों की कुटिल योजना को भांप न सका और गरदन हिलाकर उनके प्रस्ताव पर अपनी सहमति जता दी। – Kahani Kahaniya

उस बेचारे ऊंट ने शायद प्राण रक्षा के लिए मेरे जंगल में शरण ली है। उसे मारने के बजाय हमें उसे अपनी शरण में लेना होगा। जाओ, उसे हमारे पास लेकर आओ।”शेर का उत्तर सुनकर तीनों कुटिल मित्र निराश हो गए। पर वे कर भी क्या सकते थे। कोई रास्ता न देख वे उस ऊंट के पास पहुंचे और उसे शेर की अभिलाषा बताई। साथ ही यह भी कहा कि वह उसके साथ भोजन करना चाहता है। वह ऊंट पालतू था, किस्मत का मारा भटक कर जंगल में आ पहुंचा था।
उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करे। उस बेतुके आमंत्रण को पाकर ऊंट बेहद डर गया था। उसे लगने लगा जैसे उसका अंत निकट आ गया है और जल्दी ही वह शेर के हाथों मारा जाएगा। उसने सब कुछ भाग्य -भरोसे छोड़ दिया और शेर से मिलने चल दिया।लेकिन ऊंट की आशा के विपरीत शेर उससे मिलकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने बेहद मीठी वाणी में ऊंट। से बातें की और जंगल में सुरक्षा का विश्वास दिलाया।
शेर का ऐसा व्यवहार देख ऊंट के आश्चर्य का ठिकाना न था। अब वह भी शेर के तीन अन्य मित्रों के साथ रहने लगा। एक दिन, अचानक शेर का सामना एक मदमस्त हाथी से हो गया। तब शेर अपने साथियों के साथ शिकार की तलाश में भटक रहा था। दोनों में इतनी भीषण लड़ाई हुई की तीनों मित्र डरकर वहां से भाग गए। शेर ने अंततः हाथी को मार डाला लेकिन वह स्वयं भी इतनी बुरी तरह घायल हो गया था कि उसके लिए शिकार पर जाना भी दूभर हो गया।

फिर वे चारों शेर के पास जा पहुंचे। गीदड़ बोला, “महाराज! हमने हर संभव प्रयास किया परंतु शिकार ढूंढ़ पाने में विफल रहे।” तीनों कुटिल मित्र तो अपनी योजना पर कार्य कर रहे थे और ऊंट विवशता में उनके साथ था कि न जाने पर कहीं शेर नाराज न हो जाए। अब कौआ आगे आया और शेर के भोजन हेतु स्वयं को पेश किया। तभी गीदड़ बोला, “तुम तो बहुत छोटे हो। तुम्हें खाकर भला शेर की भूख कैसे शांत होगी?” और गीदड़ ने तब अपना शरीर शेर के आहार हेतु पेश किया।
वह बोला, “मुझे खाकर अपनी सुधा शांत करें, आपके प्राण बचाना मेरा परम कर्तव्य है।”“नहीं।”तभी भेड़िया बोला, “राजा की भूख को देखते हुए तुम भी बहुत छोटे हो। यह नेक कार्य तुम मुझे ही करने दो। महाराज! आप मुझे मारकर अपनी भूख शांत करें।”कहते हुए भेड़िया शेर के सम्मुख खड़ा हो गया। लेकिन शेर ने उनमें से किसी को भी नहीं मारा। ऊंट पास ही खड़ा उन तीनों का यह नाटक देख रहा था। Kahani Kahaniyan
उसने भी तय किया कि वह ऐसा करेगा। वह आगे बढ़कर बोला, “महाराज! आप मेरे मित्र हैं। जरूरत में जो काम आए वही सच्चा मित्र होता है। मुझे मारकर खा लीजिए और अपनी भूख शांत करें।”यह कहते समय ऊंट के मन में यही था कि शेर ने जैसे अन्य तीनों को खाने से मना कर दिया था, वैसे ही अब भी कर देगा।

लेकिन शेर कई दिनों का भूखा था, कब तक बर्दाश्त करता।शेर को ऊंट का सुझाव पसंद आ गया। चूंकि ऊंट ने खुद ही खुद को शेर के आहार के लिए प्रस्तुत किया था, सो शेर के मन में तनिक भी सहानुभूति नहीं उपजी। वैसे भी गीदड़ पहले ही शेर के कान भर चुका था कि महाराज की खातिर ऊंट कोई भी बलिदान करने को तैयार है। शेर ने तुरंत झपट्टा मारा और ऊंट के टुकड़े कर दिए। तीनों धूर्त मित्रों व शेर ने उसे खाकर अपनी भूख शांत की। इसके बाद भी उनके लिए कुछ दिनों का आहार बच गया था। सीख – कुटिल मित्रों से बचकर रहें। जरूरी नहीं की मीठी वाणी बोलने वाला मन से भी ऐसा ही हो। Kahani Kahaniyan – Moral Stories for Childrens in Hindi
Awesome, usefull story.