चालाक सेठ और चतुर चोर – Chalak Seth Aur Chatur Chor

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चालाक सेठ और चतुर चोर

चालाक सेठ और चतुर चोर

गाँव में एक प्रसिद्ध सेठ था, जो अपनी चतुराई के लिए जाना जाता था। उसके पास अपार धन-संपत्ति थी, लेकिन वह बहुत कंजूस भी था। सेठ के बारे में मशहूर था कि उसे कोई भी चकमा नहीं दे सकता।

एक दिन, गाँव में एक चोर आया। वह बहुत होशियार था और उसने ठान लिया कि वह सेठ को ठगकर उसकी तिजोरी से धन चुरा लेगा। लेकिन यह इतना आसान नहीं था। सेठ हमेशा सतर्क रहता और अपनी तिजोरी को अच्छी तरह से बंद रखता था।

चोर ने सोचा, “सीधे चोरी करने से कुछ नहीं होगा, मुझे दिमाग लगाना पड़ेगा।” उसने सेठ से दोस्ती करने की योजना बनाई। अगले ही दिन, वह साधु के वेश में सेठ की दुकान पर पहुँचा और बोला, “सेठ जी, मैं दूर देश का संत हूँ। आपके घर की सुरक्षा में दोष है, जिससे आपका धन खतरे में पड़ सकता है।”

सेठ डर गया और बोला, “महाराज, कृपया कोई उपाय बताइए!”

चालाक चोर बोला, “आपकी तिजोरी को एक विशेष मंत्र से सुरक्षित करना होगा। मैं आपको एक विशेष सुरक्षा यंत्र दूँगा, जिसे आपको अपनी तिजोरी में रखना होगा। इससे कोई भी चोर धन चुरा नहीं सकेगा।”

सेठ ने सोचा कि यह बहुत अच्छा उपाय है। उसने तुरंत तिजोरी खोली और साधु बने चोर को अंदर की जाँच करने दी। चोर ने अंदर रखे सोने-चाँदी और हीरे-जवाहरातों को ध्यान से देखा। फिर उसने एक चमकीला पत्थर निकालकर कहा, “इसे तिजोरी में रख दीजिए, अब आपकी तिजोरी सुरक्षित रहेगी।”

सेठ ने खुशी-खुशी वैसा ही किया और साधु को धन्यवाद देकर विदा किया।

रात हुई। चोर वापस आया और एक पतली तार की मदद से वही पत्थर खींच लिया, जो उसने खुद अंदर रखा था। दरअसल, वह पत्थर चुंबकीय था, जिससे तिजोरी की चाबी बाहर खींची जा सकती थी। अब चोर ने आसानी से तिजोरी खोली और सारा धन लेकर भाग गया।

अगली सुबह, सेठ ने जब तिजोरी खोली, तो वह खाली थी। वह समझ गया कि वह किसी चालाक चोर के जाल में फँस चुका है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी बिना सोचे-समझे किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

चतुर चोर और सेठ की नई चाल

सेठ को जब पता चला कि चोर ने उसे बड़ी चालाकी से लूट लिया है, तो उसने कसम खाई कि अब वह किसी पर भी इतनी आसानी से भरोसा नहीं करेगा। लेकिन साथ ही, उसने यह भी सोचा कि अगर वही चोर वापस आया तो उसे सबक सिखाया जाए।

कुछ ही दिनों बाद, चोर फिर से गाँव में आया और इस बार उसने एक और नया भेष धारण किया। वह अब एक ज्योतिषी बनकर सेठ की दुकान पर पहुँचा।

सेठ ने उसे देखते ही पहचान लिया, लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया और बोला, “पंडित जी, आइए, आपका स्वागत है! बताइए, मेरे भाग्य में क्या लिखा है?”

चोर ने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा, “सेठ जी, आपके सितारे बहुत प्रबल हैं, लेकिन आपको एक बार फिर धोखा मिलने का खतरा है।”

सेठ ने मन ही मन सोचा, “अरे वाह! ये चोर खुद मुझे धोखा देने आ रहा है और अब भविष्यवाणी भी कर रहा है!”

सेठ ने गंभीरता से पूछा, “पंडित जी, कोई उपाय बताइए ताकि मैं इस धोखे से बच सकूँ।”

चोर ने मुस्कुराते हुए कहा, “इसके लिए आपको अपने घर में एक खास पूजा करानी होगी और अपनी तिजोरी को फिर से सुरक्षित करना होगा। मैं आपको एक दिव्य रत्न दूँगा, जिसे तिजोरी में रखते ही वह चमत्कारी रूप से सुरक्षित हो जाएगी।”

सेठ ने तुरंत हामी भर दी और कहा, “बहुत बढ़िया पंडित जी! लेकिन मैं पूजा में कोई कमी नहीं रहने दूँगा। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे घर में ठहरें और पूजा विधिपूर्वक संपन्न करें।”

चोर को यह सुनकर बहुत खुशी हुई। उसने सोचा, “इस बार तो मैं सेठ को पूरी तरह लूट लूँगा!”

सेठ की चालाकी

रात हुई। चोर को सेठ ने अपने मेहमान कक्ष में ठहराया और कहा, “कल सुबह पूजा होगी, आप अच्छे से विश्राम करें।”

लेकिन सेठ ने पहले से ही पुलिस को बुला रखा था। जैसे ही चोर अपने कमरे में गया, पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

सेठ ने हँसते हुए कहा, “बेटा, इस बार तेरी चालाकी नहीं चलेगी! तुझे पकड़ने के लिए ही मैंने यह नाटक किया था। अब तू जेल में बैठकर अपने भविष्य की भविष्यवाणी करना!”

चोर ने सिर झुका लिया और बोला, “सेठ जी, आप सच में बहुत चतुर निकले! मैं मानता हूँ कि आपकी अक्ल मुझसे तेज़ है।”

पुलिस ने चोर को जेल भेज दिया, और सेठ ने राहत की साँस ली।

सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चालाकी से किसी को धोखा देने वाले को भी कभी न कभी कोई और मात दे सकता है। सतर्कता और बुद्धिमानी से काम लेना ही असली जीत है!


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